सुप्रीम कोर्ट से Arvind Kejriwal को जमानत, उमर अब्दुल्ला और विपक्ष का स्वागत
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मामले में जमानत दिए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में तीव्र प्रतिक्रिया देखी गई। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले का स्वागत करते हुए अदालत के फैसले को न्याय का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि कानूनी मुद्दों का समाधान केवल अदालतों के माध्यम से संभव है, न कि चुनावों से। उमर अब्दुल्ला ने कहा, “कानूनी मसलों का हल अदालत में होता है, चुनाव के जरिये नहीं। रिहाई भी अदालतों के जरिए ही हो सकती है। बारामूला के लोगों के साथ विश्वासघात किया गया, उन्हें बताया गया कि वे मतदान के माध्यम से किसी को भी जेल से बाहर निकाल सकते हैं, जबकि ऐसा केवल अदालतों के माध्यम से हो सकता है।” इस घटना के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने भाजपा पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से भाजपा की योजनाएं विफल हो गई हैं। सुनीता केजरीवाल ने कहा, “भाजपा केवल विपक्षी नेताओं को जेल में डालकर सत्ता में बने रहना चाहती है, लेकिन आज उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। उनका एकमात्र उद्देश्य विपक्ष को दबाना है।”
सत्य की जीत का दावा
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता मनीष सिसोदिया ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सत्य की जीत बताया। सिसोदिया ने कहा, “हमने हमेशा कहा था कि यह झूठ और साजिश के खिलाफ एक लड़ाई है। आज एक बार फिर सत्य की जीत हुई है।” उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य के किसी भी तानाशाही शासन के खिलाफ आम आदमी की ताकत और मजबूत हुई है। यह पूरी घटना अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से शुरू हुई थी, जब 21 मार्च 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले में कथित अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद 26 जून 2024 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने केजरीवाल को अपनी हिरासत में ले लिया था। इस केस में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली सरकार द्वारा 2021-22 में लाई गई उत्पाद शुल्क नीति में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गईं, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि बिना पर्याप्त कारणों के किसी व्यक्ति को लंबे समय तक हिरासत में रखना उसकी स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। अदालत ने यह भी माना कि इस मामले में गिरफ्तारी के बाद से पर्याप्त सबूत नहीं मिले, जो लंबे समय तक हिरासत को सही ठहरा सकें। अदालत ने यह भी कहा कि जांच के दौरान आरोपी के अधिकारों की रक्षा करना भी महत्वपूर्ण है। “लंबी अवधि तक हिरासत में रखना स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। इस मामले में ऐसा कोई ठोस कारण नहीं है जो यह सिद्ध कर सके कि अरविंद केजरीवाल की लंबे समय तक हिरासत न्यायोचित है।”
केजरीवाल की गिरफ्तारी का संदर्भ
अरविंद केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मार्च 2024 में गिरफ्तार किया था। इसके बाद सीबीआई ने भी उन्हें इसी मामले में अपनी हिरासत में लिया। आरोप यह था कि दिल्ली सरकार द्वारा लाई गई उत्पाद शुल्क नीति के तहत शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, जिसमें भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। हालांकि, आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने इस पूरे मामले को राजनीतिक षड्यंत्र बताया था और इसे भाजपा द्वारा विपक्ष को दबाने की साजिश करार दिया था।
विपक्ष के निशाने पर भाजपा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी और विपक्षी दलों ने भाजपा को निशाने पर लिया। सुनीता केजरीवाल ने सीधे भाजपा पर हमला करते हुए कहा, “भाजपा का एकमात्र उद्देश्य विपक्षी नेताओं को जेल में डालकर अपनी सत्ता बनाए रखना है। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।” सिसोदिया ने भी भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि यह फैसला सत्य की जीत है और झूठ की हार। “हमने हमेशा कहा कि हम एक झूठी साजिश के शिकार हो रहे हैं, लेकिन आज सच्चाई की जीत हुई है। यह केवल हमारी जीत नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की जीत है,” सिसोदिया ने कहा।
दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 को केजरीवाल सरकार ने शराब उद्योग में पारदर्शिता लाने और दिल्ली के राजस्व को बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किया था। नीति के तहत शराब की दुकानों के लाइसेंस की नीलामी की गई थी और कई नए नियम लागू किए गए थे। हालांकि, आरोप लगाए गए कि इस नीति में कई अनियमितताएं थीं और सरकार ने शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाए कि इस नीति के तहत भ्रष्टाचार हुआ और सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया। इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के भी आरोप थे, जिनकी जांच ईडी और सीबीआई दोनों कर रही थीं। अरविंद केजरीवाल को इन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है।
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सियासी नतीजे और आगे की राह
इस घटनाक्रम से दिल्ली की राजनीति में भारी उथल-पुथल की संभावना है। आम आदमी पार्टी केजरीवाल की जमानत को अपनी नैतिक जीत मान रही है, जबकि भाजपा इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश करेगी। जहां सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत दी है, वहीं इस मामले की जांच अभी जारी है और आने वाले समय में और भी खुलासे हो सकते हैं। उधर, आम आदमी पार्टी ने इस फैसले को भाजपा के खिलाफ एक बड़ा राजनीतिक हथियार बना लिया है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी और अब उनकी रिहाई से उन्हें जनता की सहानुभूति मिलेगी और आगामी चुनावों में इसका फायदा होगा। इस फैसले से केजरीवाल और उनकी पार्टी को एक नई ऊर्जा मिली है, और पार्टी इसे भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ मान रही है।
अरविंद केजरीवाल की जमानत के साथ ही यह मामला फिलहाल कानूनी प्रक्रिया के नए चरण में प्रवेश कर चुका है। जहां अदालत ने केजरीवाल को राहत दी है, वहीं इस मामले की जांच जारी है। यह देखना बाकी है कि इस प्रकरण का दिल्ली की राजनीति और आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ेगा।
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