Sucheta Kriplani , भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख महिला नेता और उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री, का जन्म 25 जून 1908 को पंजाब के अम्बाला शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम सुचेता मजूमदार था। उनके पिता, सुरेश चंद्र मजूमदार, सरकारी अधिकारी थे और उनकी माता, सत्यवती देवी, एक गृहिणी थीं। सुचेता का पालन-पोषण एक शिक्षित और प्रगतिशील परिवार में हुआ, जिसने उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सुचेता की प्रारंभिक शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने उन्हें समाज के प्रति एक जागरूक दृष्टिकोण दिया और वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रति आकर्षित हुईं। 1927 में, सुचेता का विवाह आचार्य कृपलानी से हुआ, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता और महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे। विवाह के बाद, सुचेता कृपलानी ने सक्रिय रूप से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना शुरू कर दिया। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ काम किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया।
सुचेता कृपलानी ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं को संगठित किया और स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया। सुचेता ने कई बार जेल यात्रा की और अपनी दृढ़ता और साहस से लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया। भारत की स्वतंत्रता के बाद, सुचेता कृपलानी ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1946 में संविधान सभा की सदस्यता प्राप्त की और भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान दिया। वे महात्मा गांधी के सुझाव पर संविधान सभा में ‘राष्ट्रीय गीत’ गाने वाली पहली महिला थीं।
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री
1963 में, सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, जिससे वे भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गईं। उनके कार्यकाल में उन्होंने राज्य में प्रशासनिक सुधार और विकास कार्यों पर जोर दिया। उन्होंने राज्य के प्रशासन में सुधार करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए और महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्य किया।
उनके प्रमुख योगदान
- सामाजिक सुधार: सुचेता कृपलानी ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए कार्य किया।
- प्रशासनिक सुधार: उनके कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के प्रशासन में कई सुधार किए गए। उन्होंने सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और प्रभावशीलता लाने के लिए प्रयास किए।
- आपातकालीन स्थिति में नेतृत्व: 1967 के राज्य विधानसभा चुनावों में, जब उत्तर प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता थी, उन्होंने एक सक्षम नेता के रूप में राज्य की बागडोर संभाली और स्थिरता बनाए रखी।
राजनीतिक यात्रा का अंत
1971 में, सुचेता कृपलानी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। उन्होंने अपने जीवन के शेष वर्ष साहित्य और समाज सेवा में बिताए। उन्होंने कई किताबें लिखीं और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए।
निधन
1 दिसम्बर 1974 को सुचेता कृपलानी का निधन हो गया। उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है और वे भारतीय इतिहास में एक प्रेरणादायक महिला नेता के रूप में जानी जाती हैं। सुचेता कृपलानी का जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि स्वतंत्रता के बाद भी देश के विकास में योगदान दिया। उनकी दृढ़ता, साहस और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट स्थान दिलाया। वे एक सच्ची देशभक्त, सक्षम नेता और समाज सुधारक थीं, जिन्होंने अपने कार्यों से समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाया।