What is Mass Defect, Formula Definition and Derivation

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द्रव्यमान क्षति Mass Defect परमाणु भौतिकी का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह अवधारणा हमें समझाती है कि परमाणु नाभिक के निर्माण के दौरान ऊर्जा का उत्सर्जन होता है और इस प्रक्रिया में द्रव्यमान का एक छोटा सा हिस्सा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। आइंस्टाइन के प्रसिद्ध समीकरण E=mc2E=mc^2 ने इस अवधारणा को ठोस वैज्ञानिक आधार प्रदान किया।

 Mass Defect की परिभाषा: द्रव्यमान दोष वह अंतर है जो एक नाभिक के वास्तविक द्रव्यमान और उसे बनाने वाले स्वतंत्र न्यूक्लियॉनों (प्रोटॉन और न्यूट्रॉन) के कुल द्रव्यमान के बीच होता है।

Definition Of Mass Defect: Mass defect is the difference between the actual atomic mass and the predicted mass calculated by adding the mass of protons and neutrons present in the nucleus. The actual atomic mass is less than the predicted mas calculated by adding the masses of nucleons.

द्रव्यमान क्षति का महत्व:

  1. नाभिकीय ऊर्जा: द्रव्यमान क्षति नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विखंडन में उत्पन्न ऊर्जा का मूल स्रोत है।
  2. नाभिकीय स्थिरता: नाभिक की स्थिरता को समझने में द्रव्यमान क्षति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अधिक द्रव्यमान क्षति वाले नाभिक आमतौर पर अधिक स्थिर होते हैं।

द्रव्यमान क्षति की गणना:

मान लीजिए कि किसी नाभिक में ZZ प्रोटॉन और NN न्यूट्रॉन हैं।

  • एक प्रोटॉन का द्रव्यमान: mpm_p
  • एक न्यूट्रॉन का द्रव्यमान: mnm_n

तो, स्वतंत्र प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का कुल द्रव्यमान होगा:

Mtotal=Z⋅mp+N⋅mnM_{\text{total}} = Z \cdot m_p + N \cdot m_n

जहां MtotalM_{\text{total}} स्वतंत्र प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का कुल द्रव्यमान है।

परंतु, नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान MnucleusM_{\text{nucleus}} होता है।

द्रव्यमान क्षति (Δm\Delta m) की परिभाषा:

Δm=Mtotal−Mnucleus\Delta m = M_{\text{total}} – M_{\text{nucleus}}

उदाहरण:

मान लीजिए हमारे पास 24He^4_2He (हेलियम-4) नाभिक है।

  • Z=2Z = 2 (प्रोटॉन की संख्या)
  • N=2N = 2 (न्यूट्रॉन की संख्या)

प्रोटॉन का द्रव्यमान: 1.00728 amu1.00728 \, amu

न्यूट्रॉन का द्रव्यमान: 1.00867 amu1.00867 \, amu

हेलियम-4 नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान: 4.00260 amu4.00260 \, amu

अब, स्वतंत्र प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का कुल द्रव्यमान:

Mtotal=2⋅1.00728+2⋅1.00867=2.01456+2.01734=4.03190 amuM_{\text{total}} = 2 \cdot 1.00728 + 2 \cdot 1.00867 = 2.01456 + 2.01734 = 4.03190 \, amu

अब, द्रव्यमान दोष:

Δm=4.03190 amu−4.00260 amu=0.02930 amu\Delta m = 4.03190 \, amu – 4.00260 \, amu = 0.02930 \, amu

ऊर्जा में परिवर्तित करना:

आइंस्टाइन के समीकरण E=mc2E=mc^2 के अनुसार:

E=Δm⋅c2E = \Delta m \cdot c^2

जहां cc प्रकाश की गति है (लगभग 3×108 m/s3 \times 10^8 \, m/s)।

तो, 1 amu1 \, amu के लिए ऊर्जा:

1 amu=931.5 MeV1 \, amu = 931.5 \, MeV

इसलिए, द्रव्यमान क्षति की ऊर्जा:

E=0.02930 amu⋅931.5 MeV/amu=27.30 MeVE = 0.02930 \, amu \cdot 931.5 \, MeV/amu = 27.30 \, MeV

द्रव्यमान क्षति नाभिकीय भौतिकी का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो हमें नाभिकीय ऊर्जा और नाभिकीय स्थिरता को समझने में मदद करता है। द्रव्यमान क्षति के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विखंडन में कितनी ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो कि ऊर्जा उत्पादन के विभिन्न नाभिकीय प्रक्रियाओं का मूलभूत सिद्धांत है