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रियो डि जेनेरियो में 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) विश्व जल दिवस की पहल में की गई। 22 मार्च याने विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। आँकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नही मिल रहा है। प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान रखना हमारी ज़िम्मेदारी है, चक्र के थमने का अर्थ है, हमारे जीवन का थम जाना। प्रकृति के ख़ज़ाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते अतः प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गँवाएँ यह प्रण लेना आज के दिन बहुत आवश्यक है।पानी के बारे में एक नहीं, कई चौंकाने वाले तथ्य हैं। विश्व में और विशेष रुप से भारत में पानी किस प्रकार नष्ट होता है इस विषय में जो तथ्य सामने आए हैं उस पर जागरूकता से ध्यान देकर हम पानी के अपव्यय को रोक सकते हैं। अनेक तथ्य ऐसे हैं जो हमें आने वाले ख़तरे से तो सावधान करते ही हैं, दूसरों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और पानी के महत्व व इसके अनजाने स्रोतों की जानकारी भी देते हैं।
• मुंबई में रोज़ वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।
• दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज़ 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
• इज़राइल में औसतन मात्र 10 सेंटी मीटर वर्षा होती है, इस वर्षा से वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटी मीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है।
• पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं।
• भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन चार मील पैदल चलती है।
• पानीजन्य रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
• हमारी पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है। इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 1.5 प्रतिशत पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है। इसमें से बचा एक प्रतिशत पानी नदी, सरोवर, कुओं, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60 वाँ हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40 वाँ हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं।
• यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पाँच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।
• बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 पानी लीटर खर्च होता है।
• विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है।
• प्रति वर्ष 3 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनुष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
• नदियाँ पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। जहाँ एक ओर नदियों में बढ़ते प्रदूषण रोकने के लिए विशेषज्ञ उपाय खोज रहे हैं वहीं कल कारखानों से बहते हुए रसायन उन्हें भारी मात्रा में दूषित कर रहे हैं। ऐसी अवस्था में जब तक कानून में सख्ती नहीं बरती जाती, अधिक से अधिक लोगों को दूषित पानी पीने का समय आ सकता है।
• पृथ्वी पर पैदा होने वाली सभी वनस्पतियाँ से हमें पानी मिलता है।
• आलू में और अनन्नास में 80 प्रतिशत और टमाटर में 15 प्रतिशत पानी है।
• पीने के लिए मानव को प्रतिदिन ३ लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।
• 1 लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है, एक किलो गेहूँ उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
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समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बूँद कीमती है। इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हज़ारों में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं। कहाँ गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता। नदियों की बात छोड़ दो, हमारे गाँव-मोहल्लों से तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है।
पानी का महत्व भारत के लिए कितना है यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता, हमने बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी हमें रुलाएगा, यह तय है। सोचो तो वह रोना कैसा होगा, जब हमारी आँखों में ही पानी नहीं रहेगा? वह दिन दूर नहीं, जब सारा पानी हमारी आँखों के सामने से बह जाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएँगे। लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो।
लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव ने जो प्रगति की है उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी ज़रूरी है। पिछले सालों में तमिलनाडु ने वर्षाजल संरक्षण कर जो मिसाल कायम की है उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है। जल ही जीवन है, यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए। विश्व जल दिवस के माध्यम से हमें यह याद दिलाया जाता है कि जल संसाधनों की महत्वपूर्ण भूमिका है और हमें इन्हें संरक्षित रखने के लिए सक्रिय भागीदार बनना चाहिए।
जल संरक्षण के महत्व को समझने के लिए हमें केवल अपने व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि समाज के स्तर पर भी कदम उठाने की आवश्यकता है। जल संरक्षण के लिए विभिन्न कदमों की जरूरत है, जैसे की जल संचयन, जल की पुनर्चक्रण प्रक्रिया, और प्राकृतिक जल स्रोतों की संरक्षण। जल संरक्षण की भूमिका निभाने में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। साथ ही, समाज के हर व्यक्ति को भी इसमें योगदान करना चाहिए।
जल संरक्षण के लिए जागरूकता को बढ़ाने के लिए, हमें समाज में जल संबंधी उपायों की जानकारी और शिक्षा का प्रसार करने की जरूरत है। समाज में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए न केवल सरकारी कदम होने चाहिए, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी हमें इसमें अपना योगदान देना चाहिए। इस वर्ल्ड वॉटर डे को याद करने का मकसद हमें जल संरक्षण के महत्व को समझने और जल संसाधनों को संरक्षित रखने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करना है। यह एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो हमें जल की महत्वपूर्णता को समझाने और जल संरक्षण के प्रति सचेतता बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता है। जल संरक्षण के लिए सामाजिक जागरूकता बढ़ाने, जल संसाधनों का सफल उपयोग करने और उनकी संरक्षण की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए, हमें अपनी जीवनशैली को भी संशोधित करने की आवश्यकता है। जल का बर्बादी न करने के लिए हमें जल की संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाना होगा। संगठनों, सरकार और व्यक्तिगत स्तर पर हमें सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता है।
विश्व जल दिवस का महत्वपूर्ण अंश यह है कि यह हमें समझाता है कि जल संरक्षण के महत्व को हमेशा याद रखना चाहिए। यह हमें जल संसाधनों के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है और हमें इन्हें संरक्षित रखने के लिए कदम उठाने की प्रेरणा देता है। जल संरक्षण की महत्वपूर्णता को समझकर हम सभी को जल संरक्षण के प्रति उत्साहित करना चाहिए, क्योंकि यह हमारे भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस विश्व जल दिवस पर, हमें जल संरक्षण के महत्व को समझाने के लिए अपना सहयोग और समर्थन देने का संकल्प लेना चाहिए। यह एक सामाजिक संदेश है जो हमें जल संरक्षण की महत्वपूर्णता को समझाता है और हमें इसमें सक्रिय भागीदार बनने के लिए प्रेरित करता है। इस उत्सव को मनाकर, हम सभी मिलकर जल संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित कर सकते हैं और इसे एक समृद्ध और स्वस्थ भविष्य के दिशा में बदल सकते हैं।